औरत का जीवन एक कसौटी
औरत का जीवन एक कसौटी :
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दया,क्षमा,ममता की देवी फ़िर भी हर पल परखी जाती,
नारी तुम हो सृष्टि रचयिता फ़िर क्यों बारहा आज़मायी जाती ।
ये हैं मानव की क्षुद्र प्रवृति जो नारी पर एतबार न करती है,
नारी है साहसी दुर्गा सी अपमान पे वार भी करती है।
नर जाति का कैंसे विश्वास करें वो क्षण क्षण रंग बदलते हैं,
पल मे बनते ये करुण मूर्ति,पल में अत्याचारी बनते हैं।
नारी तुम साहस की देवी, दुष्टों का करदो विनाश,
खड्ग उठा लो अब निज कर मे दुष्ट जन नहिं आवें पास।
जो तुमको आज़माना चाहे परीक्षा उसको पहले देनी होगी,
अगर पास न कर पाया तो खड्ग धार सहनी होगी।
ऐंसै हर किसी को तो तूमको आज़माने का अधिकार नहीं,
बहुत ग़रिमावान है नारी यूं आज़माने का कोई हक़ ही नहीं
Swati chourasia
09-Jan-2023 12:46 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌
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Renu
27-Dec-2022 09:53 PM
👍👍🌺
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Sachin dev
27-Dec-2022 09:22 PM
👌👌
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